बात पुरानी याद आ रही है,
फिर वो कहानी याद आ रही है.
हँसी के ठहाके, यारों की महफ़िल,
वो शाम सुहानी याद आ रही है.
'नज़रें चुराते हैं सब मुफलिसी में',
माँ की ज़ुबानी याद आ रही है.
कान्हा की खातिर दर-दर भटकती,
राधा दिवानी याद आ रही है.
दादी के किस्सों में अक्सर बिछड़ती,
वो राजा की रानी याद आ रही है.
चलते समय उसका कहना "न जाओ",
वो प्रेम-निशानी याद आ रही है.
waah kya baat kahi hai aapne.............ahandar !!
ReplyDeleteउमेश जी, बहुत ही बढ़िया... क्या लिखूं इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर इसके सिवा...
ReplyDelete"टीप लिखने मैं बैठा हूँ मुझको
तेरे ग़ज़ल की रवानी याद आ रही है"
बधाई.
bhut badiyaji
ReplyDeleteदादी के किस्सों में अक्सर बिछड़ती,
ReplyDeleteवो राजा की रानी याद आ रही है.
bhut achcha likha hai.